"भारत – दिल की धरती"
माटी बोले, सूरज हँसे,
पवन सुने हर राग।
इस धरती के आँचल में,
छिपा है अनुपम भाग।
हर बूँद यहाँ पर अमृत है,
हर आँसू में एक गीत।
जो झुका तिरंगे के आगे,
वो अमर हुआ हर प्रीत।
मंदिर बोले, मस्जिद गाए,
गुरुद्वारा दे ज्ञान।
यहाँ प्रेम ही पूजा है,
यही देश की पहचान।
कृषक का पसीना सोना,
मजदूरों की शान।
शब्द नहीं, ये कर्म हैं,
जो लिखते इतिहास महान।
नारी यहाँ ममता बनती,
शक्ति का अवतार।
उसके आँचल से ही बंधा,
भारत का संसार।
बच्चों की हँसी में गूँजे,
भविष्य की परछाई।
हर मासूम के स्वप्न में,
भारत की झलक समाई।
सैनिक जब सीमाओं पर,
लेता ठंडी साँस।
हर धड़कन कह उठती है,
“जय हिंद” का एहसास।
यौवन में जोश यहाँ का,
रग-रग में अंगार।
हर दिल बोले एक सुर में,
“मेरा भारत अपार!”
यहाँ दुख भी संकल्प बनें,
सपने हों उजियारे।
रातों के आँचल तले भी,
उगे सवेरे प्यारे।
ये केवल भूमि नहीं है,
ये भावों का संसार।
हर रग में बहता भारत है,
हर हृदय में प्यार।
~ अभिषेक मिश्रा 'बलिया'

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




