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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

अनदेखा अनजाना एहसास

अनदेखा अनजाना एहसास
कुछ पल ज़िन्दगी में ऐसे आए
जहाँ से सब ख़त्म हुआ दिखता था
नयी शुरुआत का वक़्त नहीं था
अनचाहे अन्त का दर्द सहना आसान नहीं था

वक़्त पीछे जा नहीं सकता था
उसे रोक पाएँ ऐसी हम में ताक़त ही कहाँ थी
दिल पर हाथ रखकर इतना ही कह सकते थे
कुछ तो करना है,हारना नहीं है

कौन,कहाँ,कैसे पलक झपकते कोई साथ आ खड़ा हुआ
थामा उसने इस क़दर कि हमें निखारता चला गया
हर राह ख़ुद-ब-ख़ुद बनने लगी
खोया हुआ वक़्त फिर से नज़र आने लगा

मिल गए वह पल जब हम वक़्त के साथ चलने लगे
डूबते हुए को किनारा मिल गया
लक्ष्य दे कर कोई जीतना भी सिखा गया
अनदेखा अनजाना सा कोई जो अपने होने का एहसास करवा गया ॥
-वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

फ़िज़ा said

Waah umda prastuti..

वन्दना सूद replied

Shukriya ma’am😊

Kapil Kumar said

Bahut ache...bo anjana sbki life m aata ha. Bhagwan kis rup m aaynge koi nahi kh skta..kabhi us anjane ke rup m bhi .

वन्दना सूद replied

बिल्कुल sir,कई बार हारते हारते कैसे सफल हो जाते हैं पता ही नहीं चलता

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

प्रणाम 🙏🙏 वंदना Mam, आपकी रचनाओं का इंतज़ार रहता है इधर उधर स्क्रॉल करता हूँ की कहीं तो Mam की रचना होगी, आज क्या नया संदेसा लायी होगी, और हमेशा की तरह बहुत सुन्दर सन्देश सुन्दर रचना

वन्दना सूद replied

आपको अच्छी लगती और मेरी बातों को आप सकारात्मक तरीक़े से लेते हैं उसके लिए आपका आभार 😊

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