लिख दो चार पंक्तियां
हम सब बहुत खुश हो रहें हैं।
पर हैं ये हिंदी के अक्षर जो
हिंदी दिवस पे रो रहें हैं ।
क्योंकि हिंदी सिर्फ हिंदी दिवस
के पखवाड़े तक हीं सीमित रह
गई है।
बस दो चार हिंदी की किताबों तक हीं
सिमट गई है।
और क्या कहें भाईयों आजकल
हिंदी की उत्थान की बातें बड़े बड़े
विद्वानों के द्वारा इंग्लिश में ही रही है।
हिंदी हिंदुस्तान में अपनी क़िस्मत पे
रो रही है ।
बड़े बड़े नामी गिरामी विद्यालयों में
इंगलिश की ज़ोर है
ख़त्म हो रही हिंदी नई पीढ़ी में
जी बची खुची और है।
हिंदुस्तान में फिरंगी भाषायें मोटी ताज़ी
हो रहीं हैं ,
और हिंदुस्तान ने हिंदी जीर्ण शीर्ण
कुपोषित हो रही है।
जो बनते हैं पैरोकार वो दो चार स्टेज शो कर हिन्दी की इति श्री कर रहें हैं
और तो और इंग्लिश ज़ुबान में हिंदी बोल रहें हैं।
बड़े बड़े वैज्ञानिक सोध अनुसंधान
चिकित्सा इंजीनियरिंग की किताबें
इंगलिश में छप रहीं हैं।
और हिंदी तो बच्चों के पंचतंत्र तक हीं
रह गई है।
गर हम हिंदी के सच्चे तलबगार
पैरोकार हैं तो ....
हिंदी का व्यापक उपयोग ज़रूरी है
एक देश एक भाषा राष्ट्र के लिए
बहुत जरूरी है।
इसलिए हिंदी हिंदी पखवाड़े तक ही
सीमित ना रहे
बल्कि हिंदी आसमानों तक छाई रहे
भाषाओं की शंशद में..
सबसे अव्वल रहे
आओ मिलकर हम सब प्रयास करें कि
हिंदी सबसे अव्वल रहे..
हिंदी सबसे अव्वल रहे...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




