"ग़ज़ल"
ऑंखों में शोख़ियाॅं तो चेहरे पे फबन है!
बहारों में लिपटा हुआ वो फूल-बदन है!!
कामयाबी के नशे में इंसान मगन है!
चेहरे पे बशर के मगर सदियों की थकन है!!
दिल बन के धड़कता था वो प्यार कहाॅं है?
हर शख़्स के सीने में अब क्रोध-अगन है!!
सींचा था हम सब ने जिसे अपने लहू से!
ख़तरे में आज अपना वो प्यारा चमन है!!
उन के हसीन रुख़ पे कुछ ऐसे है उदासी!
महताब के चेहरे पे जैसे कि गहन है!!
बेरोज़गारों की हालत क्या तुम से बताऍं!
वीरान हैं ऑंखें तो सीने में जलन है!!
दिल पूछ रहा है कि वो धड़के भी तो कैसे!
हर साॅंस है भारी बे-पनाह घुटन है!!
अब मौत भी 'परवेज़' कतराएगी मुझ से!
ये जो सर पे बाॅंध रक्खा है वो मेरा कफ़न है!!
- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




