वक़्त हर घाव भर देता है
वक़्त है कि गुज़रता चला जाता है
साथ चलते चलते कुछ अपने पीछे छूट जाते हैं
पर,ज़िन्दगी किसी के लिए भी नहीं ठहरती
मगर,याद बनकर उनके न होने का एहसास हमें ज़रूर दिलाती रहती है
सब गिले-शिकवे भी छूट जाते हैं,जाने वाले के साथ
धीरे-धीरे यादें भी कुछ धुँधली पड़ने लग जाती हैं
मन में रह जाती है केवल एक छवि और दीवार पर लगी एक तस्वीर
वक़्त का अदभुत खेल है
घाव जैसा भी क्यों न हो,वक़्त उसे भर ही देता है
पर,ज़िन्दगी यूँ ही चलती चली जाती है ..
-वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




