(कविता ) (जनता की ब्यथा)
नेताअाें की बातें ,दिन अाैर रातेें।।
क्या करें प्यारे ,इनके हैं सारे।।
बाेले वाह वाह रे ,देखिए नजारे।।
है बात खास ,सब इनके पास।।
क्या है रे कम, विस्की अाैर रम।।
रात काे पीते ,मजे से जीते।।
नशे में झूमते ,गाड़ी में घूमते।।
स्वार्थी वेह हाेते, ए.सी.में साेते।।
देर से उठते, चैन से बैठते।।
काम न काज का ,हर नेता अाज का।।
करता ऐसा ,बन गया कैसा।।
कहीं किसी बात का ,जात-पात का।।
कभी इसके ,कभी उसके।।
बिगाड़े काम पर ,धर्म के नाम पर।।
बाताें काे ले कर ,इसे तुल दे कर।।
इनके राज में, देखाे समाज में।।
दिलाें काे जलातेे, वैमनश्य फैलाते।।
साधु के भेष में ,अपने देश में।।
ये कैसे बन्दे ,करते काम गन्दे।।
अच्छी नहीं मंसा ,हत्या अाैर हिंसा।।
ये लाेग करवाते, प्रजा काे मरवाते।।
रहिए साथ ,एक नेता की बात।।
सुनिए जरा, है कितना बुरा।।
समय जा रहा ,चुनाव अा रहा।।
वह है पास में ,अगले मास में।।
गुन्डे लगा कर ,अच्छाें काे भगा कर।।
कईयाें काे पीट कर,चुनाव जीत कर।।
हाे कर विजेता ,मैं बनूं नेता।।
करूं मैं भाषण ,कुर्सी में अासन।।
हमेशा लगाउं ,दूसराें काे भगाउं।।
हूं माला-माल ,सालाैं-साल।।
चले काम-काज ,मेरा ही हाे राज।।
मेरे से पीछे ,हाें सब नीचे।।
मैं हूं उपर, पाएर छू कर।।
सब लाेग माने ,मुझे पहचाने।।
जनता काे कूटू देश काे लुटू
रुपये पैसे ,कमाउं ऐसे।।
कुबेर जैसा, मैं बनूं वैसा।।
दिल्ली बाेम्बई ,या हाे चेन्नई।।
मेरा हाे मकान ,मिले मुझे सम्मान ।।
ये वाे करना ,घूमना-फिरना।।
बिदेशी गाड़ी,बना कर दाढ़ी
उसमें चढ़ कर ,अागे बढ़ कर।।
खुदा रब की ,खैर नहीं सब की ।।
मुट्ठी में रखता ,देश काे हांकता।।
क्या मजा सार ,विदेश पार
बच्चाें काे पढ़ाता ,अागे काे बढ़ाता।।
करता नहीं देरी, बिबी काे मेरी।।
सुन से ढकता ,क्या अच्छा लगता।।
ये मेरा मन था ,बांकी सब जनता ।।
जाे करना करे,या भूखे मरे।।
उन्हें क्या देना,उनसे क्या लेना।।
बिडम्बना कैसी,ये बातें यैसी।।
सुना अाैर देखा,कविता लिखा।।
फालतू बकता,अाज का नेता ।।
कभी नहीं देखता,जनता की ब्यथा।।
कभी नहीं देखता,जनता की ब्यथा.......

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




