उजियारा हो पथ में सदा, साहित्य का दीप जले,
विनय कौशिक जैसे रचनाकार, अमर गाथा को कहें।
अलीगढ़ की माटी में जो संवेदना संचित है,
उसका स्वर लिखंतु मंच पर, नव युग की आहट है।
शब्दों में सौरभ रचे, भावों की बरसात हो,
हर पंक्ति में सजीव चित्र, हर छंद में बात हो।
नोएडा से नव जागरण का एक पताका उठे,
लिखंतु मंच से देश-विदेश में साहित्य का स्वर गूंजे।
काव्य की इस कल्पना में सृजन का नूतन रूप हो,
नैतिकता, संवेदना, संस्कृति का अनुपम स्वरूप हो।
विनय जी के काव्यपथ पर हों सृजन के सैकड़ो रंग,
मंच बने प्रेरक शिखर, हर दिल में उसका उमंग।
उत्कर्ष की नई दिशाएँ, सफलता की हर राह मिले,
हर लेखनी से उजास बहे, हर मंच पर प्रभा खिले।
साहित्य का यह रथ चले, नव चेतना के साथ,
विनय जी और मंच दोनों को, सृजन-सम्मान मिले हर बार।
डॉ बीएल सैनी
श्रीमाधोपुर सीकर राजस्थान

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




