चल साथी !
अब कुछ पल अपने लिए भी जी लेते हैं ।
कदम से कदम बहुत मिला लिया
अब हाथ थाम कर चलते हैं
थोड़ी ज़िम्मेदारियाँ ही बच गई बाकी
उनको भी पूरा कर
अपने लिए भी कुछ ज़िम्मेदारी निभा लेते हैं
चल साथी !
अब कुछ पल अपने लिए भी जी लेते हैं ..
सांसों का क्या ठिकाना
किराए का यह घर कब खाली कर दे
जितनी भी बची है ज़िन्दगी
उनसे अधूरे कुछ ख्वाब पूरे कर लेते हैं
चल साथी !
कुछ पल अपने लिए भी जी लेते हैं ..
लड़ना-झगड़ना,रूठना-मनाना बहुत हो गया
विचारों का मतभेद अब क्या बदलेगा
अकेले रहने का अवसर कब आ जाएगा
अपनी भावनाओं को छुपाने का हुनर सीख लेते हैं
चल साथी !
थोड़ा सा वक्त एक दूसरे के साथ बिता लेते हैं
अब कुछ पल अपने लिए भी जी लेते हैं ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




