कविता - समस्या
बेटी ईक्काइस बर्ष कि हाे गई बडी
मेरे पास अब समस्या है खडी
किसी ने भी नहीं बताया
अभी रिस्ता कहीं से नहीं अाया
हाथ पीले कर शादी करना है उसकी
जा कर मद्धत लूं मैं किसकी
उच्च बिचार वाला वैसे साफ हूं
दहेज लेने अाैर देने के खिलाफ हूं
अच्छा घराना नसीब वालाें काे मिलती है
समाज में मगर दहेज अभी भी चलती है
सच मानाे यही दहेज के चलते
अाज कहीं अच्छे वर भी नहीं मिलते
एक दिन अानी थी अा गई वह घडी
बेटी ईक्काइस बर्ष कि हाे गई बडी
मन के अन्दर काेने में चिन्ता है पडी
मेरे पास अब समस्या है खडी
मेरे पास अब समस्या है खडी.......