कविता - प्रदेशी....
हो गया विदेशी,बन गया परदेशी....
ये देख प्रिए कोई सिटी बजाए तो
अकेला देख तुम्हारे पास आए तो
तुम से इश्क लड़ाए तो
मीठी मीठी बातों में फसाए तो
थोड़ा उस बखत डरना तुम
मुझ को याद करना तुम
कोई फिर दुकान में पेप्सी पिलाए तो
होटल पर खाना खिलाए तो
फिर तुम से गप्पे लड़ाए तो
पैसों का लालच दिखाए तो
उसको सीधा ठुकराना तुम
मुझ को याद करना तुम
कभी फिर रात में कई लफंगे आए तो
तुम से छेड़छाड़ करने लग जाए तो
उस बखत झांसी की रानी बनना तुम
धूल... उन सभी को चटाना तुम
किसी को मुक्का किसी को लात मारना तुम
मुझ को याद करना तुम
यहां पर मालिक से छुट्टी न मिला तो
मेरा इधर कुछ भी न चला तो
दो चार साल यहीं मेरी लग जाए तो
अगर घर पर काफी देर बाद आए तो
किसी से शादी कर न सभरना तुम
मुझ को याद करना तुम
मुझ को याद करना तुम.......


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







