जो मेरा है ही नहीं,
वो भला तुम्हारा कैसे हो जायेगा !!
अगर ये इश्क़ है तो,
इश्क़ इतना आसान भी नहीं !!
सोच-समझकर बेवफ़ाओं पर,
यकीन करना ऐ दोस्त !!
अभी तक सुना नहीं क्या ..जो सबका है,
वो किसी का भी नहीं !!
अगर इश्क़ उसका बिकाऊ है,
तो खरीददार तुम ज़रा समझदार बनना !!
जो बिक सकता है बाज़ारों में,
वो किसी एक का हो सकता है ही नहीं !!
किसकी वजह से मरने जा रहे हो,
इक बेवफ़ा के लिए !!
जिस्म का बना है..बदल भी तो सकता है,
आदमी ही तो है कोई फरिश्ता तो नहीं !!
----वेदव्यास मिश्र
सर्वाधिकार अधीन है