पल पल रुका सोचा फिर चला,
चलता ही गया मंजिल है कहा,
काटो ने कहा आना ही था यहाँ,
चलता ही गया जख्मों की जुबां,
जख्मों की जुबां,
पत्थरों ने कहा ठोकरें हैं यहां,
यही है जिंदगी की दास्तां,
जिंदगी की दास्तां,
बिछड़ना और मिलना मिल कर बिछड़ना,
अपनो के लिए हम जाये कहाँ,
हम जाये कहाँ,
कभी राहों में महफ़िल कभी सुनसान डगर है,
अगर जीना यहां और मरना यहां..
फिर जाए कहां
फिर जाए कहां .....
सर्वाधिकार अधीन है