एक रीत प्रीत की
प्रीत से बनी एक प्यारी रीत,
जो भावनाओं की गहराइयों से रंगी है,
दुआओं की ठण्डी चादर से ढकी है।
प्यार के धागों से बंधी एक ऐसी डोर,
जो अनगिनत सुनहरे पलों से जुड़ी है,
हर उम्र में बचपन की खुशबू बन महकती है।
भाई बहन के रिश्ते को रक्षाबन्धन की मिठास से भर देती है।
“मैं हूँ ना”-ये अनकहा सा प्यार
जो एक दूसरे का दिल सुनना चाहता है
जहाँ कुछ पाने की नहीं, बस देने की चाह होती है,
जिसके लिए हर साल इस त्योहार का इंतज़ार रहता है ।
वन्दना सूद
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