कम उम्र में ख्याल कैसे कैसे आये।
घर के अंदर खुद-ब-खुद मुस्कुराये।।
कहने की बात समझने का मसला।
नजर का क़ुसूर नही धड़कन बढ़ाये।।
पहला पहला प्यार तासीर लाजवाब।
ताक-झाँक करती आँखें भी शर्माये।।
इज़्ज़त औए वज़ूद दांव पर लगाकर।
खुशनसीबी मेरी कि वो करीब आये।।
उसके और मेरे बीच फासला जरा सा।
निभाए कैसे 'उपदेश' उसूल टकराये।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद