झूंठ के सर पर सुनहरा ताज है
आजकल सच बोलना भी पाप है
है कलंकित ही निरा इतिहास जिनका
उनके हाथों में कुआँरी लाज है
हर गली में मुजरिमों का दबदबा
अब शहर में जिन्दगी अभिशाप है
रह गया दर्पण ठगा सा देखकर
असली चेहरा इस कदर खूंखार है
न्याय की दहलीज पर भी लिखा
अर्थ ही अब तो बना सरताज है
है अदा उनकी निराली ये बहुत
ओंठ पर मुस्कान दिल में बाज है
काट दी गर्दन सरे बाजार उनकी
आजकल के प्यार का अंदाज है
दास है अब हर तरफ शोरगुल
क्या करें हम हर कोई लाचार है II
अमर उजाला के मेरे अल्फाज पर उपलब्ध एक पुरानी रचना

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




