वैशाखियों से पांव की फरियाद करते रह गए
दलदलों से राह का आह्वान करते रह गए।।
प्रपंच की भाषा बहुत संपन्न भाषा बन गई
हम वृथा अनुवाद का अनुवाद करते रह गए।।
नफरतों की धुंध ने लोगों को यूं अंधा किया
अपने और पराए की पहचान करते रह गए।।
बहुत कमजोर थी बुनियाद घर खुद गिर गया
खंडहरों का नाम बस हम ताज धरते रह गए।।
भूख ने लाचार से इन्सान को फिर डस लिया
भक्त मन्दिर में मिठाई दान करते रह गए।।
हक हमारा ही हमे ना मिल सका अभी तक
रातदिन यूं क्रान्ति का गान करते रह गए।।
"दास"अब ये प्यार का अंदाज होता है नया
सब वफ़ा के नाम पे व्यापार करते रह गए।।


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







