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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

जलता हुआ चिराग देखा पुरानी कोठी के ताख पर-ताज मोहम्मद

जलता हुआ चिराग देखा पुरानी कोठी के ताख पर |
क्या अब चाँद की चाँदनी आती नहीं इसके मेहराब पर ||1||

इतनी खामोशी क्यूँ है छाई इसके दर-ओ-दिवार पर |
जानें क्या कुछ गलत हुआ है इसके पुरानें अस्हाब पर ||2||

क्यूँ अब आते नहीं परिन्दे यहाँ के शजरे साख पर |
इतनी धूल क्यूँ जमीं हैं इसके हर जर्रे-जर्रे के इश्राक पर ||3||

रहती थी जिन्दगियाँ यहाँ एक दूजे के अश्फाक पर |
शायद हुआ है झगड़ा इन सबका पुरखों की जायदाद पर ||4||

नूरें कमर से शामें बज्म होती थी अपने शवाब पर |
एक वक्त था सभी मेहमान कायल थे यहाँ के आदाब पर ||5||

शहर का हर शक्स ही फिदा था इसके मुकाम पर |
शायद कुछ पाबन्दी लगी हो मेरे सवालों के जवाब पर ||6||

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Vinay Kaushik said

Mashallah bahut khoob.

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया भाई जी।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Umda Bahut khoob Taj Sahab..

ताज मोहम्मद replied

धन्यवाद।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Part 4 ko pura ek sath padhna chahta hun isliye abhi time nikalkar avashya padhunga...us collection m aapka alag hi andaaz nazar aata hai pahuchunga wahan bhi...

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया।

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