यह कभी न सोचना
यह कभी न सोचना
कि तुम मेरी यादों की किताब से बाहर हो ..
मैं एक नारी हूँ
कितने ही रिश्तों की जिम्मेदारियों से बँधी हूँ
सबको समय देते देते
शायद अपने फुर्सत के पलों में से तुम्हारे लिए कुछ फुर्सत न निकाल पाऊँ
तो यह कभी न सोचना
कि तुम मेरे दिल के क़रीब नहीं हो ..
मैं एक आवाज़ हूँ
सब रिश्तों की भावनाओं की गहराई हूँ
सबको सहलाते सम्भालते
शायद अपने फुर्सत के पलों में से तुम्हें सुनने की फुर्सत न निकाल पाऊँ
तो यह कभी न सोचना
कि तुम मेरी दुआओं में शामिल नहीं हो..
यह कभी न सोचना
कि तुम अनजान हो इसलिए मेरी ज़िम्मेदारी नहीं हो ..
वन्दना सूद