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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

यह कभी न सोचना

यह कभी न सोचना
यह कभी न सोचना
कि तुम मेरी यादों की किताब से बाहर हो ..

मैं एक नारी हूँ
कितने ही रिश्तों की जिम्मेदारियों से बँधी हूँ
सबको समय देते देते
शायद अपने फुर्सत के पलों में से तुम्हारे लिए कुछ फुर्सत न निकाल पाऊँ
तो यह कभी न सोचना
कि तुम मेरे दिल के क़रीब नहीं हो ..

मैं एक आवाज़ हूँ
सब रिश्तों की भावनाओं की गहराई हूँ
सबको सहलाते सम्भालते
शायद अपने फुर्सत के पलों में से तुम्हें सुनने की फुर्सत न निकाल पाऊँ
तो यह कभी न सोचना
कि तुम मेरी दुआओं में शामिल नहीं हो..

यह कभी न सोचना
कि तुम अनजान हो इसलिए मेरी ज़िम्मेदारी नहीं हो ..
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

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रीना कुमारी प्रजापत said

Very very heart touching line's 😊🙏

वन्दना सूद replied

ये पंक्तियाँ सिर्फ आपके लिए लिखी हैं क्योंकि मुझे लगता है कि आप मुझसे मेरा वक्त चाहती हैं पर मैं दे नहीं पाती । लेकिन एक बात सच है कि मेरे ज़हन में आप रहती हो 😊❤️

शिवचरण दास said

बहुत खूब

वन्दना सूद replied

🙏🙏

Lekhram Yadav said

सब कुछ तो आप बयां कर देती हो अपनी रचना में, हमें सोचने का मौका ही कहां देते हो, बहुत सुंदर अभिव्यक्ति आपको सादर नमस्कार।

वन्दना सूद replied

सादर प्रणाम sir 🙏🙏😊

श्रेयसी said

बहुत सुंदर सबको साथ लेकर चलने वाला इंसान ऐसा हीं सोचता है 🙏🙏

वन्दना सूद replied

🙏🙏

कमलकांत घिरी said

वाह वाह बहुत खूबसूरत रचना मैम, हां सच कहा आपने भावनाएं किसी रिश्ते की मोहताज नहीं होती👍✍️🙌👏🙏आपको मेरा सादर प्रणाम 🙏

Tulsi patel said

हमको पता है दीदी आप हमे कभी नहीं भूलोगे...🥰

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